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महाकुंभ में पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह द्वारा गो संरक्षण एवं दुग्ध विकास की समीक्षा बैठक


महाकुंभ में पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह द्वारा गो संरक्षण एवं दुग्ध विकास की समीक्षा बैठक

बैठक में लिए अहम फैसले, आत्मनिर्भर गोशालाओं की ओर प्रदेश सरकार का बड़ा कदम

महाकुम्भ,प्रयागराज।

महाकुंभ 2025 के अवसर पर संगम नगरी में पशुधन, दुग्ध विकास एवं राजनैतिक पेंशन विभाग के कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह की अध्यक्षता में गो संरक्षण और दुग्ध विकास को लेकर एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में निराश्रित गोवंश के संरक्षण, दुग्ध उत्पादन में वृद्धि, पशु कल्याण और संक्रामक रोगों की रोकथाम पर चर्चा की गई तथा कई अहम निर्णय लिए गए।

मंत्री धर्मपाल सिंह ने बैठक में बताया कि प्रदेश सरकार ने 7713 गो आश्रय स्थलों में 12.43 लाख निराश्रित गोवंश का संरक्षण किया है। गोबर और गोमूत्र के व्यावसायिक उपयोग को बढ़ावा देकर गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में तेजी से कार्य किया जा रहा है। इसके अलावा गोवंश के भरण-पोषण हेतु प्रतिदिन मिलने वाले अनुदान को ₹30 से बढ़ाकर ₹50 किया गया है। मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के तहत 1.62 लाख निराश्रित गोवंश को 1.05 लाख लाभार्थियों को सुपुर्द कर ₹1500 प्रति माह अनुदान दिया जा रहा है।

बैठक में जानकारी दी गई कि आगामी तीन वर्षों में 50,000 हेक्टेयर भूमि को गोशालाओं से जोड़कर हरा चारा उत्पादन किया जाएगा। वर्तमान में 9450 हेक्टेयर गोचर भूमि में से 5977 हेक्टेयर पर चारा उत्पादन हो रहा है। मुजफ्फरनगर के तुगलकपुर कम्हेटा गांव में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) के सहयोग से 5000 गोवंश की क्षमता वाली काऊ सेंचुरी और CBG प्लांट स्थापित किया गया है।

प्रदेश में 543 वृहद गो संरक्षण केंद्रों की स्थापना का निर्णय लिया गया है, जिनमें से 372 केंद्र पहले ही संचालित हो चुके हैं। राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे गोवंश सुरक्षा के लिए रेडियम बेल्ट और सीसीटीवी निगरानी की योजना लागू की जा रही है।

गोबर एवं गोमूत्र से उत्पादों के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए 38 जिलों में NGO और महिला स्वयं सहायता समूहों की भागीदारी से गोकास्ट, गमले, गोदीप, वर्मी कम्पोस्ट और बायोगैस उत्पादन किया जा रहा है। नाबार्ड के सहयोग से गोशालाओं में बाउंड्रीवाल, ब्रिक सोलिंग और पानी की चरही का निर्माण कराया जा रहा है।

बैठक में बताया गया कि प्रदेश में 520 मोबाइल वेटनरी यूनिट्स कार्यरत हैं, जो टोल फ्री नंबर 1962 पर कॉल मिलने पर पशुचिकित्सा और टीकाकरण की सुविधा प्रदान कर रही हैं। अब तक छह करोड़ से अधिक पशुओं को मुफ्त दवा और उपचार उपलब्ध कराया गया है।

दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय पशुधन मिशन (NPDD) के तहत किसानों और दुग्ध उत्पादकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। पशु स्वास्थ्य और नस्ल सुधार के लिए पीसीडीएफ के पशुआहार निर्माणशालाओं में तैयार पशुआहार, मिनरल मिक्सचर और आवश्यक दवाएं वितरित की जा रही हैं।

प्रदेश में दुग्ध प्रसंस्करण क्षमता को दोगुना करने की योजना बनाई गई है। इस दिशा में कानपुर (4 LLPD), गोरखपुर (1 LLPD) और कन्नौज (1 LLPD) में डेयरी प्लांट स्थापित करने की प्रक्रिया जारी है। बुंदेलखंड पैकेज के तहत बांदा में 20 LLPD क्षमता का नवीन डेयरी प्लांट और झांसी में 10 KLPD क्षमता वाले डेयरी प्लांट को 30 KLPD तक विस्तारित करने की योजना स्वीकृत की गई है।

बैठक में मंत्री धर्मपाल सिंह ने गाय के दूध के साथ-साथ गोबर और गोमूत्र के उपयोग को व्यावसायिक स्तर पर लागू करने, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने और गोवंश आधारित अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार गो संरक्षण और दुग्ध विकास के क्षेत्र में सतत प्रगति के लिए प्रतिबद्ध है और इसे आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में ठोस कदम उठा रही है।

मंडल ब्यूरो चीफ पवन श्रीवास्तव की रिपोर्ट

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