आर.जी.आई.पी.टी. में अपस्ट्रीम क्षेत्र के रूपांतरण विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ
राजीव गाँधी पेट्रोलियम प्रौद्योगिकी संस्थान, जायस, अमेठी में आज दो दिवसीय अपस्ट्रीम सेक्टर के रूपांतरण विषय पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (आई.सी.टी.यू.) 2024 का आज 30 सितंबर 2024 को उद्घाटन हुआ। यह कार्यक्रम 1 अक्तूपर 2024 तक चलेगा। इसका आयोजन संस्थान के पेट्रोलियम अभियांत्रिकी व भू-अभियांत्रिकी विभाग द्वारा ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन लिमिटेड, ऑयल इंडिया लिमिटेड आदि के सहयोग से किया गया है। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि श्री विनोद शेषन, संयुक्त सचिव-अन्वेषण, पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय, भारत सरकार, श्रीमती सुषमा रावत, निदेशक-अन्वेषण, ओएनजीसी, संस्थान के निदेशक प्रो. आलोक कुमार सिंह, विभागाध्यक्ष प्रो. सतीश कुमार सिन्हा, कार्यक्रम के संयोजक डॉ शिवांजलि शर्मा एवं डॉ. अमित सक्सैना ने दीप प्रज्वलित कर किया।
इस अवसर पर अपना विचार व्यक्त करते हुए मुख्य अतिथि श्री विनोद शेषन ने कहा कि पट्रोलियम ऊर्जा के उत्खनन एवं उत्पादन के क्षेत्र में भारत में रोजगार की काफी संभावनाएं हैं और छात्र-छात्राओं के इसके भविष्य के लिए चिंतित नहीं होनी चाहिए। उन्होंने छात्रों से मुखातिब होते कहा कि भारत अपने खनिज तेल जरूरतों का केवल 10-12 प्रतिशत ही उत्पादन कर पा रहा है और शेष विदेशों से आयात कर पूर्त्ति करता है, जिसके लिए हमें काफी मात्रा में विदेशी मुद्रा का व्यय करना पड़ता है। उसी प्रकार भारत अपने गैस जरूरतों का 56 प्रतिशत उत्पादन करता है और शेष की आपूर्त्ति विदेशी आयात से पूरी की जाती है। अतः इस क्षेत्र में अकादमिक संस्थानों को शोध पर विशेष जोर देना चाहिए ताकि नई प्रौद्योगिकी का विकास कर कच्चे तेल के नये क्षेत्रों का पता लगाया जा सके। उन्होंने यह भी सलाह दी संस्थान को बी.टेक. के छात्रों को पेट्रोलियम उत्खनन के लिए लाइसेंस देने से संबंधित नियम, विनियम, निविदा प्रबंधन आदि विषयों पर लघु अवधि के पाठ्यक्रम शुरू करने चाहिए।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्रीमती सुषमा रावत ने कहा कि पेट्रोलियम अभियांत्रिकी के क्षेत्र में ओ.एन.जी.सी. शोध पर विशेष ध्यान दे रहा है और नये-नये क्षेत्रों में कच्चे तेल एवं गैस क्षेत्रों का पता लगा रहा है ताकि विदेशों पर कच्चे तेल की निर्भरता को कम किया जा सके। उन्होंने आगे कहा कि इसमें उद्योग जगत, अकादमिक एवं शोध संगठनों को आपस मिलकर कार्य करना चाहिए ताकि ओ.एन.जी.सी. एवं पेट्रोलियम कंपनियों के पास उपलब्ध आँकड़ों का उपयोग कर नई तकनीक का विकास किया जा सके। उन्होंने छात्रों से विषय के सैद्धांतिक ज्ञान के साथ उद्योग जगत के समस्याओं से अवगत होने का सुझाव दिया ताकि उसके अनुरूप वे अपने शोध एवं शिक्षण को आगे बढ़ा सके। इस अवसर पर श्रीमती सुषमा रावत को पेट्रोलियम ऊर्जा क्षेत्र में उनके विशेष योगदान के लिए आर.जी.आई.पी.टी. के ऊर्जा शक्ति लाइफ-टाइम अचीवमेंट अवार्ड से भी सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में उद्योग एवं अकादमिक जगत के विद्वानों एवं विभिन्न तकनीकों संस्थान के छात्र-छात्राओं का स्वागत करते हुए संस्थान के निदेशक प्रो. आलोक कुमार सिंह ने कहा कि इस दो दिवसीय सम्मेलन में विद्वानों के बीच परिचर्चा, अपस्ट्रीम क्षेत्र के लिए नई दिशा देने में सफल होगा। सम्मेलन के अध्यक्ष एवं विभागाध्यक्ष प्रो. सतीश कुमार सिन्हा ने प्रतिभागियों को देश व दुनिया में पेट्रोलियम क्षेत्र में हो रहे विकास कार्य एवं संभावनाओं से लोगों का परिचय कराया।
आज के कार्यक्रम में डॉ. देब अधिकारी, निदेशक- अन्वेषण व उत्पादन, भारतीय पेट्रोलियम उद्योग महासंघ, श्री हिमांशु कुमार जैन, हैलिबर्टन इंडिया के भारत प्रमुख, सुल्तान कबूस विश्वविद्यालय के तेल व अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. फारूक अल जौहरी, श्री शीतल खोट, एमिटी यूनिवर्सिटी राजस्थान के प्रो. संकेत कुमार जोशी, सी.एस.आई.आर. आई.आई.पी. के श्री आशीष कुमार, आर.जी.आई.पी.टी. की डॉ. शिवांजली शर्मा, डॉ. अमित सक्सैना आदि ने भी अपने विचार और शोध कार्य प्रस्तुत किये।
आई.सी.टी.यू. 2024 में राजीव गाँधी पेट्रोलियम प्रौद्योगिकी संस्थान के साथ इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम इंजीनियरिंग, एमिटी यूनिवर्सिटी राजस्थान, आई.एस.एम, एम.आई.टी. डब्ल्यूपीयू, यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, काकीनाडा, आई.आई.पी.ई. विशाखापत्तनम के छात्र और प्राध्यापक भी भाग ले रहे हैं।
मंडल ब्यूरो चीफ पवन श्रीवास्तव की रिपोर्ट