सलोन उर्स के मेले में 345 वा उर्स मनाया जा रहा है
सलोन रायबरेली अहाता खानकाहे करीमियां आस्ताने अशरफिया में हजरत शाह मोहम्मद शब्बीर अता रहमतुल्लाह अलैह के दोनों साहबजादे हजरत शाह मोहम्मद खालिद अता मियां साहब और जॉनसीने शब्बीरी हजरत शाह मोहम्मद अशरफ अता इमामे ईदगाह मियां साहब सलोन में अपने बुजुर्गो का सालाना उर्स मुबारक बड़ी अजीमुशान तरीकों से मनाया जिसमें तमाम हिंदू मुस्लिम शरीक हुए और मियां साहब की दुआओं से फैजयाब हुए मियां साहब ने अपने वतन हिंदुस्तान की खुशहाली और तरक्की की खुसूसी दुआएं की।
आज जो उर्फ 345 वां सालाना उर्स की महफिल थी इसमें गागर की भी महफिल थी यह या महफिल इसलिए मनाई जाती है
मानिकपुर के पीर अब्दुल करीम साहब थे उनके दादा पीर हसाबुल हक साहब के यहां एक बार पानी खत्म हो गया और जी खाने में तो वह पानी लेने के लिए किसी को उन्होंने हुकुम नहीं दिया
और अपने खुजा उनसे कहा कि मैं खुद लाता हूं तो वह मैंने सर पर अपना कुजा ले कर गए गंगा के किनारे गंगा जी के किनारे और वहां से कुजा भार के लिए और उसके साथ लोगों को बहुत पसंद किया
उनके लोगों ने कहा कि हजरत आप इस तरह इस को आगे भी जारी रखिए पीर मुर्शिद की गद्दी हमारे यहां आई और हमारे यहां भी वही रचना शुरू हो गई तो यह जो गागर है यह उसी की याद में मनाया जाता है
इसमें जो मौजूदा मियां साहब होते हैं वह गागर की रस्म अदा करते हैं और जिक्र के इलाही करते हैं और अल्लाह से दुआ करते हैं कि मुल्क में अमन शांति रहे और जो लोग अपनी मुरादे लेकर आए हैं
उनकी जायज मुरादों को अल्लाह पूरी करें और जो इसका पानी होता है वह अल्लाह सिखा देने वाला है।
बृजेश तिवारी की रिर्पोट