आखिर अराजकता के आगे हार गई
नैतिकता।
अपने चहेतों को बचाने के चक्कर में न्याय से विमुख हुए शशिकांत शर्मा।
आरोपियों को ही बनाया निर्णायक।
ऐसे विवेकहीन लोग कर रहे समाज को गुमराह।
कैसे संवरेगा छात्रों का भविष्य जब शिक्षक रहेगा शोषित।
रायबरेली।
बीते दिनों न्यू स्टैंडर्ड पब्लिक स्कूल लालगंज में प्रधानाध्यापक शिवांग अवस्थी द्वारा एक शिक्षिका से अभद्र व्यवहार करने का मामला सामने आया था। अब उस मामले में विद्यालय प्रबंधन का अनैतिक रवैया सामने आया है।
प्रबंधन ने बिना पीड़िता की बात सुने ही आरोपी प्रधानाध्यापक को ही इस मामले में निर्णायक बना दिया और पीड़िता को विद्यालय से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
छात्रों के उज्जवल भविष्य हेतु गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा का दावा करने वाले यह संस्थान जब स्वयं ही ऐसा अनैतिक कार्य कर रहे हों तो ऐसे वातावरण में छात्रों का भविष्य कितना उज्ज्वल होगा और शिक्षा की गुणवत्ता क्या होगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। जहां शिक्षा व योग्यता की कोई कद्र न हो वहां शिक्षा की गुणवत्ता अपने आप में ही एक जटिल प्रश्न है।
यह कोई पहला मामला नही है बल्कि इससे पूर्व भी ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब विद्यालय प्रबंधन की अराजकता का विरोध करने पर कई योग्य शिक्षकों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
कारण स्पष्ट है जिन संस्थानों की बुनियाद ही अनैतिकता से बनी हो वहां नैतिकता की अपेक्षा भी कैसे की जा सकती है।
चाहे जमीनों पर कब्जे की बात हो या लोगों को धमकाना कहीं न कहीं इन संस्थानों ने जनता के संवैधानिक अधिकारों का हनन करने में कोई कसर नही छोड़ी और प्रशासन भी इन्हें पूरा संरक्षण देता है जिसके चलते इनके हौसले और भी बुलंद हो जाते हैं।
अब देखना है कि योगी सरकार इन संस्थानों पर नकेल कसने में सफल हो पाती है या साठगांठ का यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा।
ब्यूरो चीफ विकास श्रीवास्तव की रिपोर्ट