भागवत कथा श्रवण मात्र से ही मिलती है पाप से मुक्ति- आचार्य अंकित जी महाराज
श्री कृष्ण जन्म की कथा सुन भाव विभोर हुए श्रद्धालु, पूरा पंडाल जयकारों से गूंजा
सांगीपुर, प्रतापगढ़।
व्यक्ति को अहंकार नहीं करना चाहिए, अहंकार बुद्धि और ज्ञान का हरण कर लेता है। अहंकार ही मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। सांगीपुर स्थित लीलाधाम माता मंदिर लखहरा मंदिर पर चल रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा आयोजन के चौथे दिवस पर आचार्य अंकित जी महाराज ने यह बात कही। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का प्रसंग सुनाया। श्रीकृष्ण की जन्म कथा का प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे।
आचार्य अंकित जी महाराज ने सुनाई कथा
कथा व्यास आचार्य अंकित जी महाराज ने बताया कि जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी, तो भगवान कृष्ण को अवतरित होना पड़ा। सात संतानों के बाद जब देवकी गर्भवती हुई, तो उसे अपनी इस संतान की मृत्यु का भय सता रहा था। भगवान की लीला वे स्वयं ही समझ सकते हैं। भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए और भगवान श्रीकृष्ण गोकुल पहुंच गए। महाराज ने कहा कि जब-जब धरती पर धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान धरती पर अवतरित होते हैं। जैसे ही कथा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ पूरा पंडाल जयकारों से गूंजने लगा।
श्रद्धालु भक्ति में लीन होकर जमकर झूमे
श्रीकृष्ण जन्म उत्सव पर नन्द के आनंद भयो जय कन्हैयालाल की भजन प्रस्तुत किया तो श्रद्धालु भक्ति में लीन होकर जमकर झूमे। एक-दूसरे को श्रीकृष्ण जन्म की बधाईयां दी गई, एक-दूसरे को खिलौने और मिठाईयां बाटी गई। कथा महोत्सव में बड़ी संख्या में महिलाओं ने भजन प्रदुम कर भगवान श्री कृष्ण के जन्म की खुशियां मनाई।
कथा में जिला पंचायत सदस्य प्रतिनिधि अशोकधर दुबे, जिला महासचिव युवा कांग्रेस चंदन पाण्डेय, पूर्व प्रत्याशी प्रमुख रामकृष्ण मिश्र ‘नन्हे’ सहित कई लोगों ने पहुंचकर व्यासपीठ की पूजन कर महाराज का आशीर्वाद लिया।
मंडल ब्यूरो चीफ पवन श्रीवास्तव की रिपोर्ट