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Home / उत्तर प्रदेश / दो दिवसीय रासायनिक अभियांत्रिकी छात्र महासम्मेलन-2024 (एस-केमकॉन) के 20वें वार्षिक सत्र का शुभारंभ

दो दिवसीय रासायनिक अभियांत्रिकी छात्र महासम्मेलन-2024 (एस-केमकॉन) के 20वें वार्षिक सत्र का शुभारंभ


दो दिवसीय रासायनिक अभियांत्रिकी छात्र महासम्मेलन-2024 (एस-केमकॉन) के 20वें वार्षिक सत्र का शुभारंभ

जायस

राजीव गाँधी पेट्रोलियम प्रौद्योगिकी संस्थान, आईआईसीएचई मुख्यालय एवं इसके अमेठी क्षेत्रीय केंद्र के संयुक्त तत्वाधान में आज रासायनिक अभियांत्रिकी छात्र महासम्मेलन (एस-केमकॉन-2024) के दो दिवसीय 20वें सत्र का उद्घाटन हुआ। कार्यक्रम का उद्घाटन पद्म श्री प्रो. जी. डी. यादव, सुश्री शुक्ला मिस्त्री, प्रो. आलोक कुमार सिंह एवं आई.आई.सीएच.ई. की के अध्यक्ष श्री ठकर सुनील इंदुलाल, उपाध्यक्ष श्रीमती शीला, उपाध्यक्ष श्री शशि कांत पोकाले, सचिव प्रो. सुनील बरन कुइला, प्रो. ए. एस. के. सिन्हा, एवं स्थानीय आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ मिलन कुमार ने दीप प्रज्वलन कर दिया। 20वें एस-केमकॉन-2024 महासम्मेलन का मुख्य विषय रासायनिक अभियांत्रिकी के नव प्रतिमान (न्यू पैराडाइमस् ऑफ केमिकल इंजीनियरिंग) है।

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश शासन के कैबिनेट मंत्री एवं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री अरविन्द कुमार शर्मा ऑनलाइन रूप से कार्यक्रम में शामिल हुए एवं विचार रखे। उन्होंने सभागार में उपस्थित छात्रों एवं विद्वजनों को संबोधित करते हुए कहा कि देश के अनुसंधानकर्ताओं को रसायन और जैव रसायन उत्पादन क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता प्राप्त की दिशा में चिंतन और कार्य करने अपील की। उन्होंने आगे कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की नीतियों के कारण आज भारत सौर्य ऊर्जा उत्पादन में एक अग्रणी देश के रूप में उभरा है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि पद्मश्री प्रो. जी. डी. यादव एवं आई.सी.टी. मुंबई के पूर्व कुलपति ने सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा एवं हाइड्रोजन ऊर्जा को त्रिमूर्ति की संज्ञा दी और कहा कि वायुमंडल मे कार्बन डाई आक्साइड का स्तर 400 पी.पी.एम. से ज्यादा है जिससे धरती के तापमान में निरंतर वृद्धि हो रही है। इस पर हमसभी को सामूहिक रूप से कार्य करने की जरूरत है, जिसमें केमिकल इंजीनियर्स की महत्वपूर्ण भूमिका होने जा रही है। कार्बन डाई आक्साइड को अन्य रसायन उत्पादन में कच्चा माल के रूप में उपयोग किया जा रहा है जोकि नेट जीरो की तरफ एक उत्साही कार्यक्रम है।
दूसरी विशिष्ट अतिथि इंडियन ऑयल बोर्ड में प्रथम महिला पूर्व कार्यकारी निदेशक मिस सुक्ला मिस्त्री ने कहा कि दुनिया की 28% आबादी वाले विकसित देश दुनिया के 77% ऊर्जा उत्पादन का उपयोग करते हैं। विकासशील देश, बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भर होना चाहते हैं। जीवाश्म ईंधन और इस पर आधारित अन्य ऊर्जा स्त्रोत आगामी वर्षों में कुल ऊर्जा मांग का और कुल बिजली आपूर्ति को समायोजित करेगें ।
संस्थान कार्यकारी निदेशक प्रो. आलोक कुमार सिंह ने जोर दिया कि आधुनिक उद्योगों के लिए स्थिरता महत्वपूर्ण है और रासायनिक अभियांत्रिकी को भौतिकी, जीव विज्ञान और कंप्यूटर विज्ञान जैसे विषयों के साथ एकीकृत करना महत्वपूर्ण चुनौतियां है जिसको, ऐसे सम्मेलनों के माध्यम से समाधानित किया जा सकता है।
कार्यक्रम में संस्थान पूर्व निदेशक एवं राष्ट्रीय आयोजन समिति अध्यक्ष प्रो. ए. एस. के. सिन्हा को उनके अति उत्कृष्ट कार्यों एवं आयोजनों के लिए आईआईसीएचई ने सम्मानित किया गया। प्रो. सिन्हा ने अपने उद्बोधन में कहा कि विकास के दौर में जो भी प्रतिकूल परिस्थितीयां उत्पन्न हुई हैं उनको आगामी युवा पीढ़ी ही समाधानित करने का बीड़ा उठाएगी। उन्होंने ये भी कहा कि हमारा संस्थान लगातार में उद्योग की जरूरतों के अनुरूप अनुसंधान कर रहा है है और 15 से अधिक उद्योग प्रायोजित परियोजना पर कार्य कर रहा है।
इस अवसर पर प्रो. एम. के. झा एवं शिवनादर संस्थान से डॉ यामिनी सुधा सिस्टला ने सतत भविष्य के लिए स्वच्छ और हरित प्रौद्योगिकियों पर प्रकाश डाला। स्थानीय आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ मिलन कुमार एवं आयोजन सचिव डॉ करन मालिक ने सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत एवं अभिनंदन किया। आई.आई.सी.एच.ई. के तरफ से अध्यक्ष डॉ सुनील ठकर, उपाध्यक्ष शीला एवं श्री शशि कान्त पोकाले ने आईआईसीएचई का वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। आईआईसीएचई के इस समय 48 क्षेत्रीय केंद्र एवं 180 छात्र अध्याय संचालित हो रहे हैं।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में छात्र-छात्राओं ने अपने शोध पत्र को प्रस्तुत किए, जो नवीकरणीय, हाईड्रोजन एवं जैव ऊर्जा, इसके भंडारण, अपशिष्ट से ऊर्जा रूपांतरण, मॉडलिंग, सिमुलेशन, स्मार्ट केमिकल इंजीनियरिंग, पॉलिमर और पेट्रोकेमिकल्स, शुद्धिकरण तकनीक, प्रदूषण नियंत्रण आदि वर्तमान भारत एवं विश्व की प्रमुख ऊर्जा एवं रासायनिक उत्पादन संबंधित आवश्यक तकनीकी आयामों पर केंद्रित थे।

मंडल ब्यूरो चीफ पवन श्रीवास्तव की रिपोर्ट

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