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बिना काम के पचहत्तर हजार वेतन लेने वाले नगर महापालिका कर्मचारी यूनियन सम्बद्ध भारतीय मज़दूर संघ के तथाकथित अध्यक्ष
कवि शंकर मिश्रा पर मुख्य वित् लेखाधिकारी नगर निगम लखनऊ द्वारा अनुशासनात्मक कार्यवाही की संस्तुति की गयी।
संस्तुति में उल्लेख किया गया की कवि शंकर मिश्रा लेखाकार द्वारा शासकीय कार्य में रूचि नहीं ली जाती और उच्च् अधिकारीयों के आदेशों की अवहेलना की भी की जाती है।
कार्यवाही ना किये जाने के डर से कवि शंकर मिश्र ने माननीय महापौर को फूलों का गुलदस्ता देकर अपने आप को बचाने की करी फरियाद।
अब देखना ये है की माननीय महापौर कामचोर एवम् उच्च् अधिकारियों के आदेशों की अवहेलना करने वाले अधिकारीयों को शरण देती हैं या विभागीय काम में रूचि ना लेने वाले अधिकारीयों की सिफारिश करती हैं। कवि शंकर मिश्रा जैसे अनेकों कर्मचारी प्रतिमाह बिना कार्य के वर्षो से वेतन लेकर नगर निगम ख़ज़ाने की चपत लगा रहें हैं
ऐसे कर्मचारियों की सिफारिश एक सेवानिवृत कर्मचारी नेता लगातार नगर आयुक्त एवम् महापौर से सिफारिश के लिये नगर निगम के चक्कर लगाते हैं और अपने को संघ और बी0जे0पी0 पार्टी के नेता बताकर धौस जमाते हुये अधिकारीयों और कर्मचारियों को गुमराह करते हैं।
काम ना करने वालोँ की सैकड़ो की संख्या में नगर निगम में फ़ौज है जो बिना काम का वेतन ले रहे हैं कुछ तो ऐसे हैं जो दोपहर बाद ही नगर निगम में आते हैं और काम के नाम पर नगर निगम का वर्षो से चूना लगा रहे हैं नगर निगम प्रशासन को ऐसे काम चोर कर्मचारियों पर शिकंजा कसने की ज़रूरत है ताकि नगर निगम में निष्ठा पूर्वक अपने दायित्वों का पालन कर रहे कर्मचारियों अधिकारीयों पर विपरीत प्रभाव ना पड़े और संस्था को वित्तीय नुकसान से बचाया जा सके।
संवादाता अमित कुमार मिश्रा की रिपोर्ट