नेपाल की शिला से बनेगी रामलला की बालस्वरूप प्रतिमा
पोखरा जिला स्थित गंडकी नदी के उद्गम स्थल से लाई जा रही शालिग्रामी शिला
– विहिप के केंद्रीय मंत्री राजेंद्र सिंह पंकज को नेपाल से शिलाएं लाने की मिली जिम्मेदारी
लखनऊ। नेपाल से लाए जाने वाली शिलाओं से भगवान राम की बालस्वरूप प्रतिमा का निर्माण होगा।
पत्थर को इकट्ठा करने और भेजने में सक्रिय विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय मंत्री एवं वरिष्ठ प्रचारक राजेंद्र सिंह पंकज के अनुसार पत्थर को तराश कर भगवान राम का बालस्वरूप बनाया जाएगा और यह राम मंदिर के गर्भगृह में रखा जाएगा।
निर्माणाधीन राम मंदिर में भगवान रामलला के बाल रूप की स्थापना के लिए काली गंडकी नदी से लाई गई दो विशाल ‘शिला’ (पत्थर) जनकपुरधाम से सोमवार सुबह अयोध्या के लिए प्रस्थान कर चुकी हैं।
यह शिलाएं शनिवार रात जनकपुर पहुंची थीं। शिलाओं के 2-3 फरवरी को अयोध्या पहुंचने की संभावना है।
विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय मंत्री राजेंद्र सिंह पंकज ने स्वदेश को बताया कि शिलाओं को तराशकर भगवान श्रीराम का बालरूप बनाया जाएगा और यह राम मंदिर के गर्भगृह में रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि श्रीराम मंदिर में जो मूल स्वरूप स्थापित किया जाएगा वह नेपाली शिला से तैयार किया
जाएगा। उनके अनुसार मूर्ति को एक साथ दो शिलाओं से बनाया जाएगा। पत्थर से 10 महीने के भीतर भगवान राम की प्रतिमा तैयार हो जाएगी।
राजेंद्र सिंह पंकज ने बताया कि राममंदिर के तीनों रास्तों को विकसित करने का काम तेजी से चल रहा है।
ये तीन रास्ते रामपथ, रामजन्मभूमि पथ व भक्तिपथ हैं। इनमें से सुग्रीव किला से रामजन्मभूमि तक बन रहा जन्मभूमि पथ 31 मार्च तक तैयार हो जाएगा।
इसका निर्माण 55 फीसदी पूरा हो चुका है। रामजन्मभूमि पथ की कुल लंबाई 566 मीटर है।
इसकी लागत 39.06 करोड़ रुपये है। उन्होंने बताया कि शिला यात्रा में सैकड़ों लोग शामिल हैं।
यात्रा जहां-जहां से गुजर रही है, स्थानीय रामभक्त फूलों की बारिश करके स्वागत कर रहे हैं।
विहिप के केंद्रीय मंत्री पंकज ने बताया कि रामजन्मभूमि पर बन रहे भव्य मंदिर के गर्भगृह में स्थापित होने वाले रामलला के स्वरूप एवं आकार-प्रकार को लेकर गहन मंथन चल रहा है। नेपाल के पोखरा जिला स्थित गंडकी नदी के उद्गम स्थल के करीब से लाई जा रही
शालिग्रामी शिला रामलला की मूर्ति निर्मित किए जाने का विकल्प है ही, किंतु अभी अंतिम रूप से यह निर्णय नहीं हो सका है कि रामलला की मूर्ति किस पत्थर से निर्मित होगी।
उन्होंने बताया कि मंदिर निर्माण समिति ने बैठक के दौरान कंप्यूटर पर रामलला के उन चित्रों का आकलन भी किया, जिन्हें चुनिंदा मूर्तिकारों ने नमूने के तौर पर प्रस्तुत किया है। प्रस्तावित चित्रों में पांच साल के बच्चे के अनुरूप रामलला की कोमलता, देवत्व, बाल सुलभ मुस्कान, शरीर के ऊर्ध्व और अधोभाग के बीच संतुलन आदि पक्षों का बारीकी से विवेचन किया गया।
श्री पंकज ने बताया कि इस तथ्य पर भी विचार किया गया कि रामलला के गर्भगृह की ऊंचाई नौ फीट एक इंच है, ऐसे में रामलला की मूर्ति कितनी ऊंची रखी जाय, उसकी आधार पीठ कितनी ऊंची हो, जिससे 35 फीट दूर से दर्शक रामलला को आपाद-मस्तक अधिकाधिक स्पष्टता से देख सकें।
उन्होंने बताया कि रामलला की मूर्ति के लिए कर्नाटक और उड़ीसा से भी पत्थर मंगवाए गए हैं और इन विकल्पों में रामलला की मूर्ति के पत्थर का चुनाव रामलला के नील गगन के सदृश रंग को ध्यान में रखकर किया जाएगा।
विहिप ने सौंपी राजेंद्र सिंह पंकज को अभियान की कमान : विश्व हिन्दू परिषद ने संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं केंद्रीय मंत्री राजेंद्र सिंह पंकज को श्रीराम जन्मभूमि पर बन रहे भव्य एवं दिव्य मंदिर के गर्भगृह में बालस्वरूप राम भगवान की प्रतिमा बनाने के लिए पत्थर को नेपाल से लाने का का कार्य प्रभारी बनाया है। राजेंद्र पंकज ने नेपाल की कड़ाके की ठंढ में तीन महीने गुजारे हैं। 2 से 3 डिग्री सेल्सियस तापमान में उन्होंने पहाड़ एवं नदियों के किनारे दुर्गम मार्ग विचरण करते हुए रामकाज में जुटे थे।
पत्थरों की खोज में अग्रणी भूमिका में रहे राजेंद्र सिंह पंकज की आपकी अगुवाई में पत्थर नेपाल से बिहार और फिर गोरखपुर के रास्ते अयोध्या लाया जा रहा है।
ब्यूरो चीफ पवन श्रीवास्तव की रिर्पोट