तनाव प्रबंधन पर गायत्री परिवार की कार्यशाला सम्पन्न
तनाव प्रबंधन से जीवन होगा खुशहाल- आशीष सिंह
बीएचईएल जगदीशपुर के कर्मचारियों ने सीखे तनाव प्रबंधन के मंत्र
जगदीशपुर 5 अगस्त 2024
शान्तिकुंज हरिद्वार के तत्वावधान में सोमवार को बीएचईएल जगदीशपुर के कांफ्रेंस हाल में गायत्री परिवार अमेठी के सौजन्य से व्यक्तित्व परिष्कार एवं तनाव प्रबंधन विषय पर मोटिवेशनल सेमिनार का आयोजन हुआ। शान्तिकुंज हरिद्वार केंद्रीय युवा प्रकोष्ठ के प्रतिनिधि इंजीनियर आशीष सिंह ने पॉवर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से अपने विचार और अनुभव साझा किए।
कार्यक्रम की शुरुआत बीएचईएल के महाप्रबंधक नवीन कौल, एच०आर० हेड एसपी सिंह, गायत्री परिवार के जिला समन्वयक डॉ त्रिवेणी सिंह, युवा जिला समन्वयक डॉ० दीपक सिंह के द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई ।
महाप्रबंधक नवीन कौल ने गायत्री परिवार के प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए शान्तिकुंज हरिद्वार की अपनी स्मृतियों को साझा किया।
आशीष सिंह ने तनाव पर चर्चा करते हुए कहा कि तनाव जीवन का अभिन्न अंग है तनाव से बचा तो नहीं जा सकता लेकिन तनाव का कैसे सामना किया जाय यह जरूर सीखा जा सकता है। परम् पूज्य गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी कहते हैं कि मनुष्य परिस्थितियों का दास नहीं, वह उनका नियंत्रणकर्ता और स्वामी है। परिस्थितियां कैसी भी हों मनुष्य के अंदर वो सामर्थ्य है कि वो अपने पुरुषार्थ के बल पर बड़ी से बड़ी कठिनाइयों का सामना कर उन पर विजय प्राप्त कर सकता है।
आशीष सिंह ने बीएचईएल के अधिकारियों, कर्मचारियों को तनाव प्रबंधन के मंत्र देते हुए बताया कि व्यवस्थित दिनचर्या से तनाव काफी हद तक कम हो जायेगा। उन्होंने व्यक्तित्व विकास के ४ चरणों पर चर्चा कृति हुए बताया कि आत्म चिंतन, आत्म परिष्कार, आत्म विकास और स्व विस्तार की प्रक्रिया को अपनाकर व्यक्तित्व विकास के शीर्ष पर पहुँचा जा सकता है। मनुष्य में देवत्व का उदय होने की अपार संभावना है।
तनाव प्रबंधन पर चर्चा करते हुए उन्होंने ५ मंत्र दिये। पहला मंत्र रोज सुबह उठकर ईश्वर का धन्यवाद ज्ञापित करें और इसे अपनी आदत बना लें, यही आभार का भाव ही व्यक्ति को ईश्वर की कृपा का पात्र बनाता है। दूसरा मंत्र अच्छे व्यक्तियों की संगत में रहे, अच्छी पुस्तकें पढ़े जिसका सकारात्मक प्रभाव व्यक्ति के जीवन में पड़ता है।
तीसरा मंत्र हमेशा सकारात्मक सोचे जब कभी भी नकारात्मक विचार आये तो उसे सकारात्मक विचार से बदलने का प्रयास करे। चौथा मंत्र नशे से दूर रहे क्योंकि नशा बर्बादी का रास्ता है जो व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक, चारित्रिक, पारिवारिक, सामाजिक पतन का कारक है। पांचवा मंत्र स्वस्थ शरीर स्वस्थ मन के लिए नियमित ध्यान और व्यायाम करें।
राजभाषा अधिकारी जनमेंजय सिंह ने कार्यक्रम का सफल संचालन किया तथा एसपी सिंह ने अंत में अतिथियों के साथ-साथ संस्था के अधिकारियों, कर्मचारियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि गायत्री परिवार व्यक्ति निर्माण, परिवार निर्माण, समाज निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है जिसकी आज महती आवश्यकता है। उन्होंने अपने साथियों को आशीष सिंह के द्वारा बताए गए तनाव प्रबंधन के तरीकों का पालन करते हुए अपनी कार्य क्षमता को बेहतर करते हुए प्रसन्नता के साथ अपनी जिम्मेदारी निभाने की बात कही।
मंडल ब्यूरो चीफ पवन श्रीवास्तव की रिपोर्ट