भागवत को अपने जीवन मे उतारे,धर्म की ओर बढे-आचार्य रघुपित त्रिपाठी
श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन सुदामा प्रसंग की कथा सुन भक्त हुए भावविभोर
अमेठी। जिले के संग्रामपुर विकास खंड क्षेत्र के तिवारीपुर गांव में बजरंग प्रसाद तिवारी घर पर चल रही श्रीमद भागवत कथा के सातवां दिन कथा वाचक आचार्य रघुपति त्रिपाठी जी अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक ने श्रीमद् भागवत कथा का समापन करते हुए कई कथाओं का भक्तों को श्रवण कराया।
कथा समापन के दौरान कथा वाचक आचार्य रघुपति त्रिपाठी जी ने भक्तों को भागवत को अपने जीवन में उतारने की बात कही, जिससे सभी लोग धर्म की ओर अग्रसर हो। कथा के अंतिम दिन सुदामा चरित्र के माध्यम से भक्तों के सामने दोस्ती की मिसाल पेश की और समाज में समानता का संदेश दिया।
साथ ही भक्तों को बताया कि श्रीमद् भागवत कथा का सात दिनों तक श्रवण करने से जीव का उद्धार हो जाता है तो वहीं इसे कराने वाले भी पुण्य के भागी होते हैं।
सच्चा मित्र वही है जो अपने मित्र को विपत्ति में साथ दें। उसे अपने से नीचा रखने के बजाय समकक्ष बनाने का प्रयास करें। कहा कि मित्रता का अर्थ स्वार्थ नहीं बल्कि सहयोग और समर्पण होना चाहिए।
कथा वाचक आचार्य रघुपति त्रिपाठी महाराज जी ने बताया कि श्रीकृष्ण और सुदामा के बीच अच्छी दोस्ती थी। उन्होंने सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि सच्ची दोस्ती में छल और कपट नहीं करना चाहिए। एसा करने से पाप होता है।
श्रीकृष्ण से बचपन में मित्र सुदामा ने कपट किया था। जिसके चलते सुदामा की आर्थिक स्थिती बिगड़ गई। वर्षों बाद श्रीकृष्ण से मिलने पर सुदामा की स्थिति में सुधार हुआ। कथा सुनकर भक्त भाव विभोर हो गए।
जिसके साथ ही वातावरण भक्तिमय हो गया। लोगों ने श्रीकृष्ण के जयकारे लगाने शुरू कर दिए।
कथा समाप्त होने के बाद प्रसाद का वितरण किया गया।श्रीमद् भागवत का रसपान पाने के लिए भक्तों का सैलाब कथा स्थल पर उमड़ पड़ा।
वहीं कथा के बीच बीच में श्रद्धालुओं ने अबीर गुलाल खेल व नृत्य कर भक्तिभाव प्रकट किया।कथा के मुख्य यजमान उर्मिला तिवारी, बजरंग प्रसाद तिवारी, डॉ केशव राम तिवारी, मुन्ना बीडीसी, सर्वेश कुमार ,बृजेश कुमार ,आशीष कुमार, शशांक निशांत, दीपक मिश्र,हजारो के संख्या में भक्त उपस्थित रहे।
बयूरो चीफ पवन श्रीवास्तव की रिपोर्ट