गृहे गृहे गायत्री महायज्ञ का ७९वाँ चरण संपन्न
भेंटुआ, अमेठी । ९ जून २०२४
गृहे गृहे गायत्री महायज्ञ के ७९वें चरण में नेव टिकरी में गायत्री महायज्ञ एवं देवस्थापना का कार्यक्रम संपन्न हुआ।
युगतीर्थ शान्तिकुंज हरिद्वार के तत्वावधान में गायत्री शक्तिपीठ अमेठी के द्वारा विगत १.५ वर्ष से घर-घर में यज्ञ का कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
रविवार को गायत्री परिवार के परिव्राजकों की टोली के द्वारा यज्ञ कर्म संपन्न कराया गया।
” यज्ञा: कल्याणहेतव:” यज्ञ से सबका कल्याण होता है। विष्णु पुराण में उल्लिखित यज्ञ महिमा की व्याख्या करते हुए आचार्य सुभाष चन्द्र द्विवेदी ने बताया कि गायत्री को सद् विचार और यज्ञ को सत्कर्म का प्रतीक माना गया है।
इन दोनों का सम्मिलित स्वरूप सद्भावनाओं एवं सत्प्रवृत्तियों को बढ़ाने वाला, प्राणिमात्र का कल्याण करने वाला है। यज्ञाचार्य डॉ० धर्मेंद्र तिवारी ने बताया कि यज्ञ आत्म संयम और उदार व्यवहार का प्रेरक है, आदर्श कर्म का दिशा निर्देश है।
यज्ञ का मतलब त्याग, बलिदान, शुभ कर्म। यज्ञ में अपने प्रिय खाद्य पदार्थों एवं मूल्यवान सुगन्धित पौष्टिक द्रव्यों को अग्नि को सौंप कर वायु के माध्यम से समस्त संसार के कल्याण हेतु वितरित किया जाता है। वायु शोधन से सबका भला होता है, निरोग जीवन मिलता है।
टिकरी के यजमान महेश सिंह चौहान एवं ओम प्रकाश सिंह के घर पर आयोजित सामूहिक यज्ञ में दर्जनों श्रध्दालुओं ने प्रतिभाग किया।
यज्ञाचार्य द्वारा सभी के घरों में देव स्थापना कराई गई व एक बुराई त्याग करने का संकल्प दिलाया गया।
मंडल ब्यूरो चीफ पवन श्रीवास्तव की रिपोर्ट