एम्स के डॉक्टरों ने एक बच्चे को उसके 9वें जन्मदिन पर दिया दुर्लभ जन्मजात बीमारी से मुक्ति का उपहार
रायबरेली:
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), रायबरेली में दुर्लभ रोग इन्कॉन्टिनेंट एपिस्पेडियस से पीड़ित 9 वर्षीय बालक की जटिल सर्जरी सफलतापूर्वक की गई। इस बीमारी की घटनाएँ अत्यंत विरल होती हैं—करीब 1,00,000 जीवित जन्मों में केवल 2.5 मामलों में ही यह पाई जाती है। इस रोग में बच्चे का लिंग (पेनिस) सामान्य रूप से विकसित नहीं होता और जन्म से ही मूत्र पर कोई नियंत्रण नहीं रहता, जिससे बच्चा लगातार पेशाब करता रहता था। कपड़े हमेशा गीले रहते थे। इसी वजह से बच्चा कभी स्कूल नहीं गया और सामाजिक जीवन से पूरी तरह कट गया।
माता-पिता ने एम्स रायबरेली के बाल शल्य चिकित्सा विभाग (paediatric Surgery) में परामर्श लिया। सभी आवश्यक जाँच-पड़ताल के बाद डॉक्टरों की टीम ने पद्मश्री प्रो. शिव नारायण कुरील (पूर्व विभागाध्यक्ष, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी) के मार्गदर्शन में यह जटिल सर्जरी की। संस्थान से डॉक्टर डॉ. सुनीता सिंह, डॉ. अलीम, डॉ. दिव्या, डॉ. विनय तथा अन्य विशेषज्ञों ने 10 घंटे तक चले ऑपरेशन को सफलतापूर्वक सम्पन्न किया। लगभग 20 दिनों तक अस्पताल में विशेष देखभाल के बाद बच्चे को उसके 9वें जन्मदिन पर स्वस्थ अवस्था में छुट्टी दी गई। सर्जरी के बाद अब बच्चे का लिंग पूरी तरह सामान्य आकार में विकसित हो गया है। बच्चे को मूत्र पर पूरा नियंत्रण है। अब वह मूत्र का संवेग महसूस करता है और शौचालय में जाकर सामान्य रूप से मूत्र त्याग कर रहा है। बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है और एक सामान्य बालक की तरह जीवन जी रहा है।
इस महत्वपूर्ण उपलब्धि में एम्स रायबरेली के कार्यकारी निदेशक मेजर जनरल (डॉ.)विभा दत्ता, एसएम (सेवानिवृत्त) का विशेष सहयोग और प्रोत्साहन मिला। उनके सहयोग से इस तरह के कठिन इलाज के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हो पाई। एम्स रायबरेली में यह इस तरह की पहली सर्जरी है। कार्यकारी निदेशक महोदया ने संस्थान के डॉक्टरों का उत्साहवर्धन करते हुए बच्चे के सुखद भविष्य की कामना की है। बच्चे के माता-पिता ने डॉक्टरों की एवं संस्थान के प्रति गहरी कृतज्ञता व्यक्त की है।
ज्ञातव्य हो कि एम्स रायबरेली में प्रत्येक कार्यदिवस पर बाल शल्य चिकित्सा (Paediatric Surgery) की ओपीडी उपलब्ध है जहां बच्चों के माता – पिता अपने बच्चों की दुर्लभ एवं जटिल बीमारियों के लिए परामर्श एवं इलाज का लाभ ले सकते है।
मंडल ब्यूरो चीफ पवन श्रीवास्तव की रिपोर्ट