युवा वैज्ञानिकों एवं अनुसंधानकर्ताओं ने किया रासायनिक अभियांत्रिकी के नव प्रतिमान पर विस्तृत चर्चा
जायस
राजीव गाँधी पेट्रोलियम प्रौद्योगिकी संस्थान, आई.आई.सी.एच.ई. मुख्यालय एवं इसके अमेठी क्षेत्रीय केन्द्र के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित रासायनिक अभियांत्रिकी छात्र महासम्मेलन (एस-केमकॉन-2024) के समापन समारोह में आईसीटी मुंबई के कुलपति सह बीओजी चेयरमैन आरजीआईपीटी प्रो. अनिरुद्ध बी पंडित ने कहा कि जैव ऊर्जा एवं हाइड्रोजन ऊर्जा सामाजिक सशक्तिकरण, आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य कर रही है । युवा शोधार्थियों को इस दिशा में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए।
दूसरे दिन के पहले विशिष्ट व्याख्यान में एस. भारतन, निदेशक- एच.पी.सी.एल. रिफाइनरीज ने रासायनिक अभियांत्रिकी के नए प्रतिमान विषय पर अपने विचार रखें । अपने वक्तव्य के दौरान उन्होंने बताया कि शीर्ष 10 आविष्कार पोर्टेबल पानी, गैसोलीन, एंटीबायोटिक्स, जीवाश्म ईंधन से बिजली उत्पादन, टीके, प्लास्टिक, उर्वरक, आदि ने अपितु समाज पर सबसे बड़ा प्रभाव डाला है किन्तु नेट जीरो अप्रोच से प्रकृति की रिकवरी संभव होगी।
अगले वक्तव्य में इंडोरमा जगदीशपुर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजेन्द्र सांख्ये ने उद्योगों के विकास पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि उद्योगों में अनुकूल लचीलेपन में सुधार के लिए चालू संयंत्रों में संशोधन जारी है। इसके साथ पर्यावरणीय चुनौतियाँ, ऊर्जा दक्षता एवं सतत आपूर्ति को समायोजित करना जरूरी है ।
अगले विशिष्ट व्याख्यान में बीपीसीएल अनुसंधान एवं विकास के निदेशक चंद्रशेखर नारायणमूर्ति ने हाइड्रोजन ऊर्जा प्रौद्योगिकी और इसकी शक्ति का उपस्करण विषय पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि बीपीसीएल ने भारत का पहला स्वदेशी इलेक्ट्रोलाइज़र निर्मित किया है ।
उन्होंने अपने वक्तव्य में बताया कि एक प्रदर्शित के दौरान आदरणीय प्रधानमंत्री मोदी जी ने मुख्य प्रबंध निदेशक पूछा कि इस उपकरण से उत्पन्न ऊर्जा से आवास में कार्यरत महिला भोजन बना सकती है।
उनके द्वारा पूछे गए प्रश्नों से शोध की नयी दिशा प्रदान होती है। आगामी दिनों में हाइड्रोजन ऊर्जा एक जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग साबित होगा।
अंतिम विशिष्ट व्याख्यान में आचार्य नितिन कायस्थ, आईआईटी कानपुर ने डिग्री ऑफ फ्रीडम नियम की महत्त्वता पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि रासायनिक अभियंता को थिंक प्रोसेस पर अधिक ध्यान देना चाहिए क्योंकि इनका मुख्य उद्देश्य प्रक्रिया का इष्टतमीकरण करना है।
अगले सत्र में डॉ. हरीश कुमार वैज्ञानिक डी.एम.एस.आर.डी.ई. ने अग्नि ईधन एवं पदार्थ विषय पर वक्तव्य दिया। उन्होंने बताया कि भारत लगातार राकेट ईंधन पर आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर है।
यूओपी हनीवेल में कार्यरत श्री निशेष गर्ग ने छात्रों से इस आगे बढ़ने की होड़ वाली जिंदगी के इतर शांत एवं सफल जीवन की तरफ ध्यान देना की अपील की। शिवनादर संस्थान से डॉ यामिनी सुधा सिस्टला, इंडोरमा जगदीशपुर से श्री विकास कुमार अपने नवाचार साझा किए ।
रासायनिक अभियांत्रिकी शिक्षा के भविष्य के अवसर और चुनौतियाँ विषय पर पैनल डिस्कशन में गुजरात उर्वरक लिमिटेड के पूर्व कार्यकारी निदेशक श्री डी.एम. बुटाला, श्री चंद्रशेखर नारायणमूर्ति, श्री राजेन्द्र सांख्ये, डॉ. नितिन कायस्थ ने छात्रों को नौकरी और शिक्षा में सामंजस्य हेतु पूर्व स्थापित नियमों को नए के साथ मिलाने के बजाय एकीकृत करने की सलाह दी। अगले पैनल डिस्कशन में रासायनिक अभियांत्रिकी के नए प्रतिमान: शिक्षा जगत और उद्योग से उनकी अपेक्षाओं पर छात्रों का दृष्टिकोण विषय पर परिचर्चा हुई।
इस महासम्मेलन में सम्पूर्ण भारतवर्ष के तकनीकी संस्थानों का प्रतिनिधित्व रहा। स्थानीय छात्रों के अलावा मुख्य रूप से आई.आई.टी. रुड़की, आईआईटी बीएचयू वाराणसी, आईआईटी दिल्ली, कॉंगरु इंजीनियरिंग कॉलेज, हल्दिया प्रौद्योगिकी संस्थान, श्रीचित्रा तिरुनल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग तिरुवनंतपुरम, जादवपुर विश्वविद्यालय, आंध्र विश्वविद्यालय, बीवीराजू प्रौद्योगिकी संस्थान, केरल तकनीकी विश्वविद्यालय, वीआईटी वेल्लोर , आंध्र यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, जीआईईटी विश्वविद्यालय ओडिशा, यूपीएल सतत प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, सिद्धागंगा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, बीएमएस कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग और कई अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों से छात्रों ने भाग लिया ।
मंडल ब्यूरो चीफ पवन श्रीवास्तव की रिपोर्ट